Christ in Islam by William Goldsack

इस्लाम में मसीह

अज़

पादरी डब्ल्यू गोल्डसेक साहिब

William Goldsack

CHRIST IN ISLAM

BY

Rev William Goldsack

Australian Baptist Missionary and Apologist

1871–1957

पंजाब रिलीजियस बुक सोसाईटी

अनारकली-लाहोर
1945 ईसवी

The Punjab Religious Book Society

Anarkali, Lahore

इस्लाम में सय्यदना मसीह

दीबाचा

हम्द लामहदूद ख़ुदा-ए-अज़्ज़-ओ-जल वह्दहू लाशरीक रउफुर्रहीम व रब्बुल आलमीन के लिए है। जिसने अम्बिया व मुर्सलीन को मबऊस फ़र्मा कर इन्सान ज़ईफ़-उल-बुनयान पर अपनी पाक मर्ज़ी का इज़्हार किया और अपने कलाम के वसीले से राह-ए-हयात-ए-दवाम की हिदायत फ़रमाई ।

हमारा इरादा है कि इस रिसाला में तमाम अम्बिया में से ईसा मसीह को मुंतख़ब करके क़ुरआन और अहादीस से दिखावें कि नबी नासरी इस्लाम में क्या रुत्बा रखता था ।

हमारे मुसलमान भाई अक्सर अवक़ात "ईसा रूहुल्लाह" का ज़िक्र करते हैं। लेकिन जो रुत्बा उसे क़ुरआन और अहादीस में दिया गया है। बहुत ही थोड़ों को इस का कुछ ख़्याल है। लिहाज़ा अब हम देखेंगे कि कुतुब इस्लाम मसीह के हक़ में क्या शहादत देती हैं और इस शहादत के बिना पर इस्लाम पर किया फ़र्ज़ ठहर है।

क़ुरआन में मसीह के अल्क़ाब व मोअजेज़ात और काम ऐसे और इस क़दर दर्ज हैं और इस में ऐसी बड़ी बड़ी पेशीन गोईयां पाई जाती हैं कि वो निहायत सफ़ाई और सराहत के साथ तमाम अम्बिया से अफ़ज़ल व बरतर ठहरता है। क्योंकि ऐसे अल्क़ाब व मोअजेज़ात किसी और नबी से कहीं मंसूब नहीं हैं। मसलन ईसा मसीह क़ुरआन में कलिमतुल्लाह और रूहुम्मिन्हू और अल-मसीह वग़ैरा के अल्क़ाब से मुलक़्क़ब है । कोई और नबी इन अल्क़ाब से मुमताज़ नहीं हुआ। पस इन बातों से हम पर फ़र्ज़ ठहरता है कि मसीह की ज़ात के बारे में तहक़ीक़ात करें हर तरह के पुराने तास्सुब और बे-बुनियाद यूंही माने हुए ख़्यालात को छोड़कर हम क़ुरआन और अहादीस की शहादत पर ग़ौर करें और देखें कि इस अज़-हद ज़रूरी और अहम मसले पर क़ुरआन और अहादीस से किया रोशनी पड़ती है।